ए जान ओ दिल के मसीहा मेरी ख़बर लेना ~ हज़रत मंजूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'


AYE JAAN-O-DIL-DIL KE MASEEHA
  
ए जान ओ दिल के मसीहा मेरी ख़बर लेना !
इसी पनाह मे गुज़रे निगाह कर देना !!

जो पाए सजदाए पाए सनम वो क़िस्मत है !
मेरा नसीब भी ऐसा बने नज़र रखना !!

कि  दैर ओ काबा के झगड़ों से दूर रह के जिएं !
तुम्हें ही देखें जिएं ऐसे तो भला कहना !!

नशा सा उनकी महब्बत का घेरे रहता है !
करम है उनका कि हमको भी आ गया पीना !!

ये आरज़ू है सलामत रहे सदा दिल मे !
वो एक जलवए जां जो सीखा गया जीना !!

~ हज़रत मंजूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

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