ROOH-E-SHAHARY - तेरी ख़ामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है, तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है .
1
तेरी
ख़ामोशी, अगर तेरी मज़बूरी है,
तो
रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है .
2
खुशियां
तकदीर मे होनी चाहिए
तस्वीर
मे तो हर कोई हँसता हैं.
3
कहां मिला मैं, तुझे ये सवाल बाद का है,
तू
पहले याद तो कर किस जगह गंवाया मुझे.
4
हर
दम तलाश- ऐ- ग़ैर में रहता है आदमी,
डरता
है कहीं ख़ुद से मुलाक़ात न हो जाये.
5
दिखाई
कम दिया करते हैं बुनियाद के पत्थर,
जमीन
में दब गए जो इमारत उन्हीं पे कायम है.
6
सुबह
साज़ देती है, रात जाम लाती है,
ज़िंदगी
मेरी ख़ातिर कितने काम लाती है ।
7
धड़कनों
को कुछ तो काबू कर ऐ- दिल,
अभी
तो पलके झुकी है, मुस्कुराना अभी बाकी है
8
दिल
की यादों में सवारू तुझे,
तू
दिखे तो आंखों में उतारू तुझे.
तेरे
नाम को लबों पर ऐसे सजाऊ,
सो जाऊं तो ख्वाबों में पुकारूं तुझे.
9
अजब
ये दौर आया है तुम्हारे दौर में साहब,
शराबें
खुल के बेची जा रही हैं चाय चुपके से ।
-असद अजमेरी
10
कुछ
गैर ऐसे मिले,जो मुझे अपना बना गए।
कुछ
अपने ऐसे निकले,जो गैर का मतलब बता गए ।
11
जिंदगी
कांटो का सफर है,
हौसला इसकी पहचान है.
रास्ते पर तो सभी चलते हैं,
जो रास्ते बनाए वही इंसान है.
12
जो
बात दवा से बन न सके, वो बात दुआ से होती है ।
गर
सच्चा मुशिर्द मिल जाए, तो बात खुदा से होती
है।।
13
उम्र
कब तक वफ़ा करेगी, ज़माना कब तक ज़फ़ा करेगा !
मुझे
क़यामत की है उम्मीदें, जो कुछ करेगा ख़ुदा करेगा
!!
- अकबर इलाहाबादी
14
अभी
तो साथ चलना है समंदर की मुसाफत में साहिब...!
किनारे
पर ही देखेंगे किनारा कौन करता है,,!!
15
सिर्फ
यारियाँ ही रह जाती हैं, मुनाफ़ा बन के !
वर्ना
ज़िन्दगी के सौदों में, नुक़सान बहुत है !!
16
उलझे जो कभी मुझसे तो, तुम सुलझा देना,
रिश्ते का एक सिरा, तुम्हारे हाथों में भी तो है !
17
न
जाने कौन सा ऐसा छुपा हुआ रिश्ता है आपसे,
हजारों अपने हैं, पर याद आप ही आते हो.
18
मेरे
“ऐब" तो जमाने में उजागर हैं,
फिक्र
वो करे जिनके गुनाह पर्दे में है !
19
मुसीबतों
से निखरती है शख्सियत यारों,..
जो
चट्टानों से न उलझे.. वो झरना किस काम का !
20
एक
उम्र से तराश रहा हूँ खुद को,
कि
हो जाऊं लोगों के मुताबिक,
लेकिन
हर रोज़ ये जमाना मुझमें,
एक
नया ऐब निकाल लेता है.
21
बड़े
होंगे तो ज़िंदगी अपने हिसाब से जिऐंगे,
बचपन
के इस ख्याल पर अब रोज हँसता हूँ ।
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