ऊँ गुरूवे नम:




ऊँ गुरूवे नम:
" गुरू तत्व " एक ईकाई है , इसके पीछे जितने भी शून्य लगाते रहो , हर शून्य की अपनी अपनी जगह पर दस गुना कीमत हो जाती है , और यदि एक ईकाई के आगे जितने भी शून्य लगाते रहो , उसके हर शून्य की कीमत शून्य ही रहती है । कहने का अर्थ यह है कि , गुरू की वाणी को पीछे रहकर ,जितना सुनेगें और आत्मसात करते रहेगें , उतना  ही दशांश में लाभ के भागी होगें अन्यथा जीवन में " गुरू तत्व " को जितना विस्मृत करते जायेगें और माया के अंश को जितना जीवन में लगाते जायेंगे , उतना ही जीवन का मूल्य शून्य होता जायेगा ।
ऐसे सतगुरु स्वरूप " गुरू तत्व " को बारम्बार स्मरण , ध्यान , वंदन , स्तुति और उस की शक्ति से प्राप्त मन से हर क्षण उसी का शुक्राना


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