SUFI - AISI RANGO RANGREJ PIYA KI - हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'


AISI RANGO RANGREJ PIYA KI
- हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'


ऐसी रंगो रंगरेज पिया कि तुम्हरे ही रंग में रहूं सइयाँ ।
बात परायी अब न सहूंगी, तुम्हरी कही ही करूँ सइयाँ ।।

जोड़ लिया तो तोडूं कैसे, टूट गई तो प्रीति ही कैसी।
रंग में रंग मिलाय के देखूं, बस मैं तुम्हारी रहूं सइयाँ ।।

चैन परत नाही मोरे जिया को, व्याकुल मनवा खोजे है मोहन ।
हमरे परान में ऐसे बसे हो, अब कैसे दूर रहूँ सइयाँ ।।

जो सुख साजन तुम्हरे चरन में, बैठ मिला वो कहीं भी नहीं है ।
अब संसार की बात न करिबै,  कब तक आंच सहूँ सइयाँ ।।

बांह धरे की लाज है इनको, आस यही मन बाँध रखूंगी ।
जब तुम साथ सहारा हो मोरे, काहे की चिंता करूँ सइयाँ ।।

- हज़रत मंज़ूर आलम शाह 'कलंदर मौजशाही'

Comments

Popular posts from this blog

GHAZAL LYRIC- झील सी ऑंखें शोख अदाएं - शायर: जौहर कानपुरी

Ye Kahan Aa Gaye Hum_Lyric_Film Silsila_Singer Lata Ji & Amitabh ji

SUFI_ NAMAN KARU MAIN GURU CHARNAN KI_HAZRAT MANZUR ALAM SHAH