चाँदनी छत पे चल रही होगी ~ दुष्यंत कुमार


CHANDNI CHAT PE CHAL RAHI HOGI
- DUSHYANT KUMAR

चाँदनी छत पे चल रही होगी !
वो अकेली टहल रही होगी !!

फिर मेरा ज़िक्र आ गया होगा !
वो बर्फ सी पिघल रही होगी !!

कल का सपना बहुत सुहाना !
ये उदासी न कल रही होगी !!

सोचता हूँ की बंद कमरे मे !
एक शम्मा सी जल रही होगी !!

आज बुनियाद थरथराती है !
वो दुआ फूल फल रही होगी !!

तेरे गहनों सी खनखनाती थी !
बाजरे की फसल रही होगी !!

जिन हवाओं ने तुझको दुलराया !
उनमे मेरी ग़ज़ल रही होगी !!
~ दुष्यंत कुमार

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